क्रिया, परिभाषा, उदाहरण , भेद समूह दुनिया मे क्रिया पदो का अंत नहीं। बह काभी खतम ना होगी। संसार में अगणित क्रिया है । ‘जिससे काम का होना या करना समझा जाय, उसे ही ‘क्रिया’ कहते हैं।’ जैसे- लड़का मन से पढ़ता है और परीक्षा पास करता है। ----!!!उक्त वाक्य में ‘ पढ़ता है ’ और ‘ पास करता है ’ क्रियापद हैं। उदाहरण:- नहाना, कहना,गलना, रगड़ना, सोचना, हँसना, देखना, बचना, धकेलना, रोना, खाना, जाना, आना, बलना, कहना,सोना,उठना, बैठना, लिखना, परना, मरना, झगरना, टेहलना, खोजना, ध्यान करना, चराना, उड़ाना, फेकना, उछालना, काम करना, आंसू गिराना, हासना, पाना, खोना, भिगना, पोंछना, पूछना, बताना...........आदि। मुख्यतः क्रिया के दो प्रकार होते है 1. सकर्मक क्रिया “जिस क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े, उसे ‘सकर्मक क्रिया’ (Transitive verb) कहते हैं।” अतएव, यह आवश्यक है कि वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म लाये। यदि क्रिया अपने साथ कर्म नहीं लाती है तो वह अकर्मक ही कहलाएगी। नीचे लिखे वाक्यों को देखें : (i) प्रवर अनू पढ़ता है। (कर्म-विहीन क्रिया) (ii) प्रवर अनू पुस्तक पढ़ता...
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