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कारक के परिभाषा, भेद और उदाहरण । karok poribhasha, bhed or udahoron hindi


जानिए कारक क्या होते हैं?

जानिए कारक क्या होते हैं?

  कारक (karak)

किसी कार्य को करने वाला कारक यानि जो भी क्रिया को करने में मुख्य भूमिका निभाता है, वह कारक कहलाता है। कारक क्या है , कारक की परिभाषा, कारक किसे कहतें है, कारक के भेद कितने होते हैं। इन सभी को आप इस ब्लॉग में जानेंगे। आइए विस्तार से जानते हैं karak के बारे में।

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THIS BLOG INCLUDES:

  • कारक किसे कहते हैं?
  • कारक की परिभाषा
  • कारक के भेद
  • कर्ता कारक
  • कर्मकारक
  • करण कारक
  • सम्प्रदान कारक
  • अपादान कारक
  • सम्बन्ध कारक
  • अधिकरण कारक
  • सम्बोधन कारक
  • कर्म और सम्प्रदान कारक में अंतर
  • करण और अपादान कारक में अंतर
  • विभक्तियों का प्रयोग
  • विभक्तियों की प्रयोगिक विशेषताएं
  • विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या
  • कारक अभ्यास प्रश्न
  • MCQs
  • FAQs

कारक किसे कहते हैं?

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य का सम्बन्ध किसी दूसरे शब्द के साथ जाना जाए, उसे कारक ( Karak ) कहते हैं। कारक( Karak ) संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वह रूप होता है जिसका सीधा सम्बन्ध क्रिया से ही होता है। किसी कार्य को करने वाला कारक यानि जो भी क्रिया को करने में मुख्य भूमिका निभाता है, वह कारक( Karak ) कहलाता है।

कारक की परिभाषा

Karak की परिभाषा नीचे दी गई है-वाक्य में प्रयुक्त शब्द आपस में सम्बद्ध होते हैं। क्रिया के साथ संज्ञा का सीधा सम्बन्ध ही कारक( Karak ) है। कारक को प्रकट करने के लिये संज्ञा और सर्वनाम के साथ जो चिन्ह लगाये जाते हैं, उन्हें विभक्तियाँ कहते हैं।

जैसे –पेड़ पर फल लगते हैं। 

कारक के भेद

हिंदी में Karak के भेद नीचे दिए गए हैं-

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कर्ता कारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते हैं। इसका चिन्ह ’ने’ कभी कर्ता के साथ लगता है, और कभी वाक्य में नहीं होता है,अर्थात लुप्त होता है। कर्ता कारक उदाहरण –

रमेश ने पुस्तक पढ़ी।

सुनील खेलता है।

पक्षी उड़ता है।

मोहन ने पत्र पढ़ा।

सोहन किताब पढ़ता है।

राजेन्द्र ने पत्र लिखा।

 अध्यापक ने विद्यार्थियों को पढ़ाया।

पुजारी जी पूजा कर रहे हैं।

कृष्ण ने सुदामा की सहायता की।

सीता खाती है।

ये भी पढ़ें :अनुस्वर किसे कहते हैं ?

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कर्मकारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया का प्रभाव या फल पङे, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म के साथ ’को’ विभक्ति आती है। इसकी यही सबसे बड़ी पहचान होती है। कभी-कभी वाक्यों में ’को’ विभक्ति का लोप भी होता है। कर्म कारक के उदाहरण –

उसने सुनील को पढ़ाया।

मोहन ने चोर को पकङा।

लङकी ने लङके को देखा।

कविता पुस्तक पढ़ रही है।

गोपाल ने राधा को बुलाया।

मेरे द्वारा यह काम हुआ।

 कृष्ण ने कंस को मारा।

 राम को बुलाओ।

 बड़ों को सम्मान दो।

 माँ बच्चे को सुला रही है।

 उसने पत्र लिखा।

मुकुल को कसौली घूमना था।

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करण कारक

जिस साधन से अथवा जिसके द्वारा क्रिया पूरी की जाती है, उस संज्ञा को करण कारक कहते हैं। इसकी मुख्य पहचान ’से’ अथवा ’द्वारा’ है। करण कारक के उदाहरण –

रहीम गेंद से खेलता है।

आदमी चोर को लाठी द्वारा मारता है।

प्रशांत गाड़ी चलाता है।

यहाँ ’गेंद से’,’लाठी द्वारा’ और ‘गाड़ी चलाता’ करणकारक है।

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सम्प्रदान कारक

जिसके लिए क्रिया की जाती है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। इसमें कर्म कारक ’को’ भी प्रयुक्त होता है, किन्तु उसका अर्थ ’के लिये’ होता है। करण कारक के उदाहरण –

सुनील रवि के लिए गेंद लाता है।

हम पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं।

माँ बच्चे को खिलौना देती है।

माँ बेटे के लिए सेब लायी।

अमन ने श्याम को गाड़ी दी।

मैं सूरज के लिए चाय बना रहा हूँ।

मैं बाजार को जा रहा हूँ।

भूखे के लिए रोटी लाओ।

वे मेरे लिए उपहार लाये हैं।

सोहन रमेश को पुस्तक देता है।

उपरोक्त वाक्यों में ’मोहन के लिये’ ’पढ़ने के लिए’ और बच्चे को सम्प्रदान है।

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अपादान कारक

अपादान का अर्थ है- अलग होना। जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम से किसी वस्तु का अलग होना मालूम चलता हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। करण कारक की तरह अपादान कारक का चिन्ह भी ’से’ है, परन्तु करण कारक में इसका अर्थ सहायता होता है और अपादान में अलग होना होता है। अपादान कारक के उदाहरण –

हिमालय से गंगा निकलती है।

वृक्ष से पत्ता गिरता है।

राहुल के हाथ से फल गिरता है।

गंगा हिमालय से निकलती है।

लड़का छत से गिरा है।

पेड़ से पत्ते गिरे।

आसमान से बूँदें गिरी।

वह साँप से डरता है।

दूल्हा घोड़े से गिर पड़ा।

चूहा बिल से बाहर निकला।

इन वाक्यों में ’हिमालय से’, ’वृक्ष से’, ’छत से ’ अपादान कारक है।

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अधिकरण कारक

संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसकी मुख्य पहचान है ’में’, ’पर’ होती है । अधिकरण कारक के उदाहरण –

घर पर माँ है।

घोंसले में चिङिया है।

सड़क पर गाड़ी खड़ी है।

यहाँ ’घर पर’, ’घोंसले में’, और ’सङक पर’, अधिकरण है ।

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सम्बन्ध कारक

संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु का सम्बन्ध दूसरी वस्तु से जाना जाये, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। इसकी मुख्य पहचान है – ’का’, ’की’, के। सम्बन्ध कारक के उदाहरण –

 राहुल की किताब मेज पर है।

 सुनीता का घर दूर है।

सम्बन्ध कारक क्रिया से भिन्न शब्द के साथ ही सम्बन्ध सूचित करता है।

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सम्बोधन कारक

संज्ञा या जिस रूप से किसी को पुकारने तथा सावधान करने का बोध हो, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। इसका सम्बन्ध न क्रिया से और न किसी दूसरे शब्द से होता है। यह वाक्य से अलग रहता है। इसका कोई कारक चिन्ह भी नहीं है। सम्बोधन कारक के उदाहरण –

खबरदार !

रीना को मत मारो।

रमा ! देखो कैसा सुन्दर दृश्य है।

लड़के! जरा इधर आ।

कर्म और सम्प्रदान कारक में अंतर

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विभक्तियों का प्रयोग

हिंदी व्याकरण में विभक्तियों के प्रयोग की विधि निश्चित होती है।

विभक्तियां 2 तरह की होती हैं

विश्लिष्ट: 

संज्ञाओं के साथ जो विभक्तियां आती हैं, उन्हें विश्लिष्ट विभक्ति कहते हैं।

संश्लिष्ट: 

सर्वनामों के साथ मिलकर जो विभक्तियां बनी होती हैं वे संश्लिष्ट विभक्ति कहलाती हैं।

विभक्तियों की प्रयोगिक विशेषताएं

विभक्तियों की प्रयोगिक विशेषताएं निम्नलिखित है :-

विभक्तियां आत्मनिर्भर होती हैं और इनका वजूद भी इसलिए आत्मनिर्भर होता है। यह शब्द सहायक होते हैं जो किसी वाक्य के साथ मिलकर उसे एक मतलब देते हैं, जैसे ने, से आदि।

हिंदी में विभक्तियां विशेष रूप से सर्वनामों के साथ प्रयोग होकर डिसऑर्डर बना देती हैं और उनसे मिल जाती हैं। जैसे मेरा, हमारा, उसे, उन्हें आदि।

विभक्तियों को संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयोग किया जाता है। जैसे- मोहन के घर से यह सामान आया है।

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विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या

विभिन्न भाषाओं में Karak की संख्या नीचे दी गई है-

भाषा कारकों की संख्या

हंगेरियन 29

फिनिश 15

बास्क 1000

असमिया 8

चेचन 8

संस्कृत 8

क्रोएशियन 7

पोलिश 7

यूक्रेनी 7

लैटिन 6

स्लोवाकी 6

रूसी 6

बेलारूसी 7

ग्रीक 5

रोमानियन 5

आधुनिक ग्रीक 4

बुल्गारियन 4

जर्मन 4

अंग्रेजी 3

अरबी 3

नार्वेजी 2

प्राकृत 6

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कारक अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित वाक्य पढ़कर प्रयुक्त कारकों में से कोई एक कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए :-

राम अयोध्या से वन को गए। इस वाक्य में ‘से’ किस कारक का बोधक है?

(a) करण

(b) कर्ता

(c) अपादान

उत्तर :(c) अपादान

‘मछली पानी में रहती है’ इस वाक्य में किस कारक का चिह्न प्रयुक्त हुआ है?

(a) संबंध

(b) कर्म

(c) अधिकरण

उत्तर : (c) अधिकरण

‘राधा कृष्ण की प्रेमिका थी’ इस वाक्य में की’ चिह्न किस कारक की ओर संकेत करता है?

(a) करण

(b) संबंध

(c) कर्ता

उत्तर : (b) संबंध

‘गरीबों को दान दो’ ‘गरीब’ किस कारक का उदाहरण है?

(a) कर्म

(b) करण

(c) सम्प्रदान

उत्तर : (c) सम्प्रदान

‘बालक छुरी से खेलता है’ छुरी किस कारक की ओर संकेत करता है?

(a) करण

(b) अपादान

(c) सम्प्रदान

उत्तर :(a) करण

सम्प्रदान कारक का चिह्न किस वाक्य में प्रयुक्त हुआ है?

(a) वह फूलों को बेचता है।

(b) उसने ब्राह्मण को बहुत सताया था।

(c) प्यासे को पानी देना चाहिए।

उत्तर : (c) प्यासे को पानी देना चाहिए।

इन वाक्यों में से किसमें करण कारक का चिह्न प्रयुक्त हुआ है?

(a) लड़की घर से निकलने लगी है

(b) बच्चे पेंसिल से लिखते हैं

(c) पहाड़ से नदियों निकली हैं

उत्तर : (b) बच्चे पेंसिल से लिखते हैं

किस वाक्य में कर्म–कारक का चिह्न आया है?

(a) मोहन को खाने दो

(b) पिता ने पुत्र को बुलाया

(c) सेठ ने नंगों को वस्त्र दिए

उत्तर : (b) पिता ने पुत्र को बुलाया

अपादान कारक किस वाक्य में आया है?

(a) हिमालय पहाड़ सबसे ऊँचा है

(b) वह जाति से वैश्य है

(c) लड़का छत से कूद पड़ा था

उत्तर : (c) लड़का छत से कूद पड़ा था

इनमें से किस वाक्य में ‘से’ चिह्न कर्ता के साथ है?

(a) वह पानी से खेलता है

(b) मुझसे चला नहीं जाता

(c) पेड़ से पत्ते गिरते हैं

उत्तर :(b) मुझसे चला नहीं जाता

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FAQs

कारक किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं?

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सम्बन्ध वाक्य के किसी दूसरे शब्द के साथ जाना जाए, उसे कारक (Karak) कहते हैं। हिन्दी में ’आठ कारक’ होते हैं।

कारक के आठ भेद कौन कौन से हैं?

कर्ता कारक

कर्म कारक

करण कारक

सम्प्रदान कारक

अपादान कारक

संबंध कारक

अधिकरण कारक

संबोधन कारक

कर्म कारक का चिन्ह क्या है?

कर्म के साथ ’को’ विभक्ति आती है। जैसे- उसने सुनील को पढ़ाया।

मोहन ने चोर को पकड़ा।

वह घर से आया इसमें कौन सा कारक का प्रयोग हुआ है?

करण कारक

कर्म कारक को कैसे पहचाने?

कर्म के साथ ’को’ विभक्ति आती है। इसकी यही सबसे बड़ी पहचान होती है।

संप्रदान कारक का चिन्ह क्या है?

इसमें कर्म कारक ’को’ भी प्रयुक्त होता है, किन्तु उसका अर्थ ’के लिये’ होता है।

कर्म कारक और संप्रदान कारक में क्या अंतर है?

इन दोनों कारक में ‘को’ विभक्ति का प्रयोग होता है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है।

जैसे –

(i) विकास ने सोहन को आम खिलाया।

(ii) मोहन ने साँप को मारा।

(iii) राजू ने रोगी को दवाई दी।

(iv) स्वास्थ्य के लिए सूर्य को नमस्कार करो।

कारक कितने प्रकार के होते हैं संस्कृत में?

संस्कृत तथा अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं में आठ कारक होते हैं।

कारक और विभक्ति का सोदाहरण परिचय दीजिए?

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) कारक कहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि संज्ञा या सर्वनाम के आगे जब ‘ने’, ‘से’, ‘को’ आदि विभक्तियाँ लगती हैं, तब उनका रूप ही कारक कहलाता है।

Practice Set-1

Practice Set-2

आशा करते हैं कि आपको Karak के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे study care telegram को जॉइन करें और बिल्कुक फ्री सेशन बुक करें।

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