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हिन्दी वर्तनी (vartani in hindi) है। वर्तनी शब्द का अर्थ (vartani meaning in hindi) होता है-

 हिन्दी वर्तनी (vartani in hindi) है। वर्तनी शब्द का अर्थ (vartani meaning in hindi) होता है- 

हिन्दी वर्तनी (vartani in hindi) है। वर्तनी शब्द का अर्थ (vartani meaning in hindi) होता है- 

"" शब्द का अर्थ होता है - शब्दों की ठीक और सही रूप में लिखने की क्रिया। यह शब्द शिक्षा, भाषा, और व्याकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सही वर्तनी से शब्दों का सही अर्थ स्पष्ट होता है और संवाद को स्पष्टता से समझने में मदद मिलती है।

अनुवर्ती करना या पीछे-पीछे चलना। अलग शब्दों में कहें तो लिपि-चिन्हों के क्या रूप हो, और उनका संयोजन कैसा हो, यह कार्य वर्तनी का ही होता है। वर्तनी (Vartani kya hai hindi mein) को स्पेलिंग भी कहते हैं। किसी भी भाषा की समस्या ध्वनियों को सही ढंग से उच्चारित करने के लिए ही वर्तनी  (Vartani in hindi) की एकरूपता स्थिर की जाती है।

इस लेख में हमलोग वर्तनी क्या है? (Vartani kya hai), वर्तनी के नियम (Vartani ke niyam) और वर्तनी के उदाहरण (Vartani ke udaharan) के बारे में जानेंगे। अगर आप वर्तनी (Vartani kya hai hindi mein) के बारे में पढ़ना चाहते है, तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

वर्तनी क्या है? | Vartani kya hai

भाषा के किसी शब्द को को लिखने में प्रयुक्त वर्णों के सही क्रम को वर्तनी (Vartani in hindi) कहते हैं। जिस भाषा की वर्तनी (Vartani in hindi) में अपनी भाषा के साथ अन्य अक्षरों को सटीक ध्वनियों के साथ ग्रहण करने की जितनी अधिक शक्ति होगी, उस भाषा की वर्तनी (Vartani in hindi) उतनी ही समर्थ होगी। हम कह सकते हैं कि वर्तनी (Vartani kya hai hindi mein) का सीधा सम्बन्ध भाषागत ध्वनियोँ के उच्चारण से है।

(1) उच्चारण के समय जिस अक्षर पर कम जोर पड़े वहाँ ह्रस्व की मात्रा (ि/ु) उ; अधिक जोर पड़ने पर दीर्घ की मात्रा (ी/ू ) ऊ।  

जैसे - पिता-पीता, दिन-दीन, सुत-सूत, कुल-कूल, उष्म-ऊष्म, इड़ा-ईड़ा आदि।

            इन शब्दों की शुद्ध वर्तनी तभी लिखी जा सकती है, जब आप इनके अर्थ को समझते हों, अतः श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्दों की सूची को बार-बार पढ़ें और उस पर ध्यान दें।

(2) हिन्दी के अधिकतर शब्द उपसर्ग या प्रत्यय से बने होते हैं, जैसे-

        => परि (उपसर्ग) + भाषा = परिभाषा ।
        => भाषा + इक (प्रत्यय) = भाषिक ।

         कभी-कभी एक ही शब्द में उपसर्ग और प्रत्यय दोनों जुड़े होते हैं, जैसे - => परि + भाषा + इक = पारिभाषिक ।

[ ऐसे शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखने के लिए उपसर्ग और प्रत्यय की सूची को बार-बार पढ़ें और उस पर ध्यान दें।]

(3) हिन्दी के अधिकतर शब्द संधि या समास के नियमों से बने होते हैं, जैसे -  => रवि + इन्द्र = रवीन्द्र ।
                                         => परि + ईक्षा = परीक्षा 

[दीर्घ-संधि के नियम से ह्रस्व इकार (f) दीर्घ ईकार (ी) में बदला] जैसे -   => मंत्री + मंडल = मंत्रिमंडल ।

        => पक्षी + गण = पक्षिगण 

 [स्वराघात या उच्चारण के कारण दीर्घ इकार (ी) ह्रस्व इकार (f) में बदला]

[ऐसे शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखने के लिए संधि एवं समास के नियमों को बार-बार पढ़ें और इनकी सूची देखें।]

(4) एकवचन से बहुवचन बननेवाले शब्दों की वर्तनी का ध्यान रखें। जैसे - => बहू - बहुओं;
        => डाकू - डाकुओं;
        => लड़की - लड़कियाँ आदि।

          यदि स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द के अंत में "ई" हो तो उसका बहुवचन रूप बनाने के लिए "ई" के स्थान पर "इ" मात्रा का प्रयोग किया जाता है। जैसे- =>गाड़ी = गाडियां

(5) दो लगातार महाप्राण व्यंजनों का संयोग नहीं होता है। जैसे -    

मख्खी, बघ्घी, शुध्ध, मछ्छर-लिखना गलत है।
       इन्हें ऐसे लिखें - मक्खी, बग्घी, शुद्ध, मच्छर ।

(6) ट-वर्ग के पहले प्रायः 'ष' का प्रयोग होता है।

        जैसे - कष्ट, स्पष्ट, निष्ठा, काष्ठ, षडानन, षोडशी, आषाढ़, उष्ण, कृष्ण आदि।

(7) 'ऋ' या इसकी मात्रा (ृ) के बाद प्रायः 'ष' का प्रयोग होता है।

        जैसे - ऋषि, ऋषभ, ऋषभी, कृषि, वृषभ, वृष्टि, सृष्टि आदि।

[‘य' संयुक्त होने पर 'र' दें, जैसे - ऋश्य, ऋश्यद, ऋश्यमूक, ऋश्यकेतन, ऋश्यकेतु ।]

(8) यदि किसी शब्द में 'श' और 'ष' एक साथ आएँ, तो पहले प्रायः 'श' का प्रयोग होगा।

        जैसे - शेष, विशेष, शोषण, शोषित, शीर्षक आदि।

इसी प्रकार 'श' और 'स' एक साथ आएँ, तो 'श' प्रायः पहले आता है। जैसे - प्रशंसा, अनुशंसा, शासन, प्रशासन, शासक आदि।

(9) परसर्ग / कारक चिन्ह का प्रयोग  

परसर्ग, संज्ञा से अलग लिखा जाता है, सर्वनाम के साथ जुड़ा रहता है। अगर लगातार दो परसर्ग रहे तो पहला सर्वनाम से जुड़ा रहेगा और दूसरा उससे अलग। जैसे-=>

अशुद्ध वाक्य: मैं ने गलती नही की थी।
• शुद्ध वाक्य: मैंने गलती नहीं की थी।

(10) हलन्त का प्रयोग 

मान‌् /वान‌् /हान‌् प्रत्ययान्त शब्दों में हलन्त का प्रयोग होना चाहिए। 

जैसे-=> श्री मान‌् ,आयुष्मान‌् , महान‌्

(11) त‌्/अम‌्/उत‌् प्रत्ययान्त तत्सम शब्दों में हलन्त का प्रयोग किया जाता है। 

जैसे-=> विद‌्या, शुद्ध

(12) योजक चिन्ह का प्रयोग 

द्वंद्व समास के समस्त पदों और सहचर पदों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

जैसे- =>माता-पिता

(13) यदि पूर्ण द्विरुक्त के बीच परसर्ग/ नीपात रहे तो उस परसर्ग के दोनों और योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाएगा।

 जैसे- =>पानी ही पानी

(14) अनुस्वार और चन्द्रबिन्दु का प्रयोग 

शिरोरेखा से ऊपर जाने वाली मात्राओं के ऊपर अनुस्वार, नीचे लिखी जाने वाली मात्राओं के ऊपर चंद्रबिंदु का प्रयोग होता है।

जैसे- => मैं, उन्हें

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880+ Vartani List
1) अ’ ‘आ’ से संबंधी शुद्ध अशुद्ध शब्द
 अशुद्ध         शब्द        अशुद्ध       शब्द
अकाश        आकाश तत्कालिक तात्कालिक
अगामी.     आगामी     नदान      नादान
अजमाइश आजमाइश   निरान्न      निरन्न
अंत्यक्षरी     अंत्याक्षरी   नराज       नाराज
अर्यावर्त      आर्यावर्त   प्रमाणिक प्रामाणिक
अलपीन.    आलपीन    बदाम     बादाम
अवाज          आवाज.  ब्रह्मण.   ब्राह्मण
अविष्कार    आविष्कार भगीरथी भागीरथी
अशीर्वा.       आशीर्वाद   व्यवसायिक व्यावसायिक
अहार          आहार      सप्ताहिक साप्ताहिक
चहरदीवारी चहारदीवारी संसारिक सांसारिक
अनाधिकार अनधिकार दुरावस्था   दुरवस्था
आजकाल    आजकल    बारात       बरात
आधीन           अधीन.  हस्ताक्षेप   हस्तक्षेप
ढाकना          ढकना.    हाथिनी.   हथिनी
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2) ‘इ’ ‘ई’ से संबंधी शुद्ध अशुद्ध शब्द
अशुद्ध        शुद्ध       अशुद्ध       शुद्ध
आशिर्वाद आशीर्वाद     पुत्रि        पुत्री
इद              ईद          प्रतिक.   प्रतीक
इश्वर          ईश्वर           प्राणि.   प्राणी
गोदावरि    गोदावरी     भागिरथी भागिरथी
जिरा           जीरा        महाबलि महाबली
तिर्थ           तीर्थ.       महिना       महीना
तुलसिदास तुलसीदास यानि            यानी
दिपिका      दीपिका    रितिकाल     रीतिकाल
दिवाली     दीवाली.     लिजीये       लीजिए
निरिक्षण    निरीक्षण     शताब्दि     शताब्दी
निरसता    नीरसता      शिर्षक   ;    शीर्षक
पत्नि.       पत्नी          समिक्षा.   समीक्षा
पिढी.       पीढ़ी         सूचिपत्र     सूचीपत्र
पितांबर     पीताम्बर       हिंग          हींग
अतिथी     अतिथि.     परिणती    परिणति
अभीनेता   अभिनेता       परीवार.  परिवार
अभीमान अभिमान     पाकीस्तान   पाकिस्तान
आखीर      आखिर          पुष्टी.         पुष्टि
ईंजन.       इंजन           पूर्ती.          पूर्ति
कालीदास कालिदास     बलीदान.   बलिदान
किर्ति          कीर्ति        बहुब्रीही.     बहुबीहि
कुटीया       कुटिया       बाल्मीकी     बाल्मीकि
कोटी           कोटि           मती            मति
क्षत्रीय          क्षत्रिय      ::श्रीमति        श्रीमती
गीनना        गिनना.        शनी            शनि
नीती.          नीति.        : हानी.         हानि
परीचय         परिचय.      हीजड़ा      हिजड़ा
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3) ‘उ’ ‘ऊ’ से संबंधी शुद्ध अशुद्ध शब्द
अशुद्ध         शुद्ध         अशुद्ध        शुद्ध
अनुदित      अनूदित       नुपूर          नूपुर
उधम            ऊधम       नेहरु         नेहरू
उष्मा           ऊष्मा.      रुई             रूई
जरुरत         जरूरत      वधु           वधू
तुफान          तूफ़ान      सिंदुर.       सिंदूर
दुसरा           दूसरा        सुई           सूई
अरूण        अरुण      रूपया        रुपया
ऊत्थान        उत्थान      साधू          साधु
गुरू               गुरु       दूबारा         दुबारा
धूआँ          धुआँ         दूकान         दुकान
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4) ‘ऋ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध        शुद्ध       अशुद्ध       शुद्ध
अनुग्रहित अनुगृहीत   रिगवेद      ऋग्वेद
उरिन          उऋण      ;रिणी        ऋणी
त्रितीय       तृतीय        रितु          ऋतु
तृकोण    त्रिकोण        रिधी       ऋद्धि
पैत्रिक       पैतृक       रिषि.       ऋषि
बृटिश       ब्रिटिश      संग्रहीत.  संगृहीत

5) ए’ ‘ऐ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध         शुद्ध          अशुद्ध         शुद्ध
एक्ट            ऐक्ट           वेश्य           वैश्य
केंटीन          कैन्टीन        मटमेले       मटमैले
केबिनेट        कैबिनेट        मेनेजर      मैनेजर
जेसा              जैसा.        मेसूर          मैसूर
टेक्स.         टैक्स           सेनिक        सैनिक
शने: शने :   शनै: शनै:      देहिक        दैहिक
पेसा               पैसा          वेसा          वैसा
भाषाऐं          भाषाएं.     चाहिेऐ       चाहिए
योग्यताऐं     योग्यताएं       फैल          फ़ेल
वैश्या              वेश्या.      फैंकना      फेंकना
सैना               सेना
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6) ओ’ ‘औ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध          शुद्ध           अशुद्ध.       शुद्ध
अक्षोहिणी अक्षौहिणी       गोरव          गौरव
अलोकिक अलौकिक.     नोकरी        नौकरी
ओद्योगिक औद्योगिक पारलोकिक पारलौकिक
ओरत           औरत         पोरुष.       पौरुष
गोतम         गौतम            प्रोढ़             प्रौढ़
ज्यौनार       ज्योनार.    दौना            दोना
झौपड़ी.     झोपड़ी.   न्यौछावर      न्योछावर
त्यौहार.      त्योहार.     लौहार         लोहार

7) अनुस्वार(ं) ,चद्र(ँ) बिंदु संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध         शुद्ध         अशुद्ध         शुद्ध
आंख          आँख          दांत           दांत
उंगली         उँगली         पांख         पाँख
ऊंघना         ऊँघना         बांझ         बाँझ
ऊंचा             ऊँचा          बांध.       बाँध
कांपना       काँपना         बांह.        बाँह
गूंगा             गूँगा         भूंकना      भूकँना
गूंज           गूँज.         महंगा         महँगा
छांह           छांह             मुंह         मुँह
झांसी       झाँसी           संकरा.     सँकरा
टांगना      टाँगना          सांझ.       साँझ
अँक           अंक            एवँ           एवं
अँकुर       अंकुर          गूँजन         गूंजन
अँग           अंग            दिनाँक       दिनांक
अँधा          अंधा              रँग           रंग
अँश           अंश             स्वयँ        स्वयं
‍अहँ            अहं             सँस्कृत     संस्कृत
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8) विसर्ग ( : ) संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध           शुद्ध           अशुद्ध           शुद्ध
दुश्शील       दु : शील       प्रातकाल    प्रातःकाल
दुख              दुःख             प्राय.         प्रायः
निशुल्क      निःशुल्क       मनस्थिति   मनःस्थिति
निस्वार्थ       निः स्वार्थ        शनै शनै     शनैः शनैः

9) ‘छ’ ‘क्ष’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध          शुद्ध           अशुद्ध           शुद्ध
आकांछा    आकांक्षा         छोभ           क्षोभ
छत्रिय          क्षत्रिय.        नछत्र.        नक्षत्र
छन               क्षण.       प्रछेपास्त्र     प्रक्षेपास्त्र
छमा            क्षमा            रच्छा          रक्षा
छय             क्षय           लछमन        लक्ष्मण
छीण           क्षीण            संछेप         संक्षेप
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10) ‘ज’ ‘य’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध          शुद्ध.        अशुद्ध          शुद्ध
अजोध्या    अयोध्या        जाचना         याचना
जदि             यदि             जुवती          युवती
जम              यम             जुवा.           युवा
जमुना         यमुना            जोग             योग

11) ‘ट’ ‘ठ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध          शुद्ध           अशुद्ध          शुद्ध
कनिष्ट          कनिष्ठ           झूटा          झूठा
कुष्ट.             कुष्ठ           निष्टा          निष्ठां
गरिष्ट.         गरिष्ठ.        वरिष्ट          वरिष्ठ
घनिष्ट          घनिष्ठ.         श्रेष्ट           श्रेष्ठ
अंत्येष्ठी.     अंत्येष्टि        मिष्ठान्न      मिष्टान्न
अभीष्ठ.     अभीष्ट.         मुठ्ठी        मुट्ठी
इकट्टा         इकट्ठा.      यथेष्ठ          यथेष्ट
इष्ठ                इष्ट          रूष्ठ.         रुष्ट
चेष्ठा.           चेष्टा         विशिष्ठ        विशिष्ट
परिशिष्ठ.  परिशिष्ट         संतुष्ठ.      संतुष्ट
प्रविष्ठ          प्रविष्ट         षष्ठी          षष्टि
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12) ड’ ‘ड़’ ‘ढ’ ‘ढ़’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध        शुद्ध         अशुद्ध        शुद्ध
कन्नड      कन्नड़         पडता        पड़ता
क्रीडा       क्रीड़ा.        पेड           पेड़
घोडा       घोड़ा         लडका       लड़का
झाडू.     झाड़ू           बूढा         बूढ़ा
लुड़कना लुढ़कना       रोड़           रोड
सीडियाँ सीढियां      षड़यंत्र       षड्यंत्र
पढता      पढ़ता        सोड़ा       सोडा
ढ़कना     ढकना       मेढ़क       मेढक
ढ़ेर.        ढेर

13) ‘ण’ ‘न’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध     शुद्ध    अशुद्ध   शुद्ध
अर्चणा   अर्चना   फागुण फागुन
खाणा    खाना रसायण रसायन
प्रार्थणा   प्रार्थना   राणी रानी
कल्यान कल्याण प्रनाली प्रणाली
कारन   कारण    प्रमान प्रमाण
कृष्न     कृष्ण      प्रान प्राण
गनेश   गणेश     मरन मरण
गनेश    गणेश    मरन मरण
गुन      गुण     रनभूमि   रणभूमि
चरन   चरण       रमन    रमण
नारायन नारायण रामायन रामायण
परिनाम परिणाम विस्मरन विस्मरण
पुन्य      पुण्य       वीना    वीणा
प्रनाम   प्रणाम     श्रवन    श्रवण
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14) ‘ब’ ‘व’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध    शुद्ध    अशुद्ध    शुद्ध
नबाब    नवाब    बिकट   विकट
पूर्ब       पूर्व      बिख्यात विख्यात
ब्यथा   व्यथा      बिद्वान   विद्वान्
ब्यय     व्यय      बिधि     विधि
ब्यवस्था व्यवस्था बिभीषण विभीषण
ब्याकरण व्याकरण बिमल विमल
ब्यापार   व्यापार    बिष     विष
बन          वन      बीबी      बीवी
बनस्पति वनस्पति बीरेंद्र वीरेंद्र
ब्रत         व्रत         बृष्टि      वृष्टि
बातावरण वातावरण बैदेही वैदेही
कामयावी कामयाबी धोवी धोबी
दबदवा    दबदबा     बल्व बल्ब

15) पंचमाक्षर (‘ङ’ ‘ञ’ ‘ण’ ‘न’ ‘म’)
अशुद्ध      शुद्ध      अशुद्ध     शुद्ध
अन्ग       अंग        झन्डा     झण्डा
अनगिन्त अनगिनत दन्ड       दण्ड
कन्ठ       कण्ठ     न्यून्ता    न्यूनता
कुन्डली   कुण्डली   पन्खा     पंखा
घन्टे         घण्टे       पन्क     पंक
चन्चल     चंचल     पन्डित   पंडित
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16) ‘य’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध      शुद्ध      अशुद्ध     शुद्ध
अंतर्ध्यान अंतर्धान गृहस्थ्य   गृहस्थ
केन्द्रीयकरण केन्द्रीकरण मूलतयः मूलतः
कृत्यकृत्य कृतकृत्य सदृश्य सदृश
अंताक्षरी   अन्त्याक्षरी स्वास्थ स्वास्थ्य
कवित्री. कवयित्री    सामर्थ   सामर्थ्य
मानवर   मान्यवर

17) ‘र’ ‘ड़’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध      शुद्ध      अशुद्ध       शुद्ध
उमरना   उमड़ना     पापर      पापड़
करोर.  करोड़       पीरा         पीड़ा
कराही   कड़ाही      पेरा         पेड़ा
किवार   किवाड़       भेर       भेड़
कीचर   कीचड़      भेरिया     भेड़िया
बृज        ब्रज     करमनासा कर्मनासा
मात्रिभूमि मातृभूमि परयाग.   प्रयाग
मिरच.    मिर्च        प्रंतु        परन्तु
रामचन्दर रामचंद्र परत्येक    प्रत्येक
छुहाड़ा   छुहारा    घबड़ाना   घबराना
टोकड़ी   टोकरी   पिंजड़ा     पिंजरा
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18) ‘स’ ‘श’ ‘ष’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध        शुद्ध        अशुद्ध        शुद्ध
आदर्ष      आदर्श        दृष्य          दृश्य
वेषभूषा    वेशभूषा    रजिश्टर    रजिस्टर
कष्टम       कस्टम    पोष्टमास्टर पोस्टमास्टर
प्रकासन    प्रकाशन    अवकास   अवकाश
प्रसंसा      प्रंशसा      असोक      अशोक
विवस       विवश       आसा .     आशा
विस्वास.   विश्वास     कलस       कलश
स्रवण       श्रवण      कुसलता    कुशलता
संकर       शंकर.     कौसल्या    कौशल्या
संसोधित संशोधित जमसेदपुर जमशेदपुर
समसान   श्मशान        तास         ताश
साबास    शाबाश      दसमी         दशमी
सूर्पणखा शूर्पणखा       देस           देश
सोचनीय शोचनीय       नास           नाश
उत्कर्श     उत्कर्ष        मनुश्य        मनुष्य
दुश्कर्म     दुष्कर्म       राश्ट्रीय       राष्ट्रीय
निश्काम. निष्काम     विशाद       विषाद
निश्फल   निष्फल       विशेश       विशेष
परिभाशा परिभाषा शिश्टाचार शिष्टाचार
पुश्प           पुष्प        शीर्शक     शीर्षक
बहिश्कार बहिष्कार     संतोश      संतोष
भ्रस्ट          भ्रष्ट            हर्श         हर्ष
अभिशेक अभिषेक     भीश्म        भीष्म
आविस्कार आविष्कार वास्प           वाष्प
दुस्कर           दुष्कर    विसम         विषम
निसाद         निषाद      सुसमा       सुषमा
अमावश्या   अमावस्या    बांश         बांस
कैलाश         कैलास     विकाश    विकास
कोशी          कोसी        श्वशुर        श्वसुर
तपश्या        तपस्या     शंकट        संकट
नमश्कार     नमस्कार    शारांश.  सारांश
पुरश्कार      पुरस्कार    शुनसान    सुनसान
प्रशन्न           प्रसन्न.    शुशोभित   सुशोभित
प्रशाद          प्रसाद.    समश्या      समस्या
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[NOTE:-शुद्ध-अशुद्ध वर्तनीवाले शब्दों की सूची को पढ़ना तो दूर, उसे कभी धोखे से भी न देखें, क्योंकि अशुद्ध वर्तनीवाले शब्द को बार-बार देखने से शुद्ध वर्तनी लिखना अपेक्षाकृत अधिक कठिन हो जाता है; यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है। इसी कारण इस पुस्तक में शुद्धअशुद्ध वर्तनीवाले शब्दों की सूची नहीं दी गई है, सिर्फ शुद्ध शब्दों की सूची दी गई है। अतः दिए गए श्रुतिलेख का ही अभ्यास करें। आप श्रुतलेख (Dictation) के माध्यम से निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध-शुद्ध लिखना सीखें।]

Practice Set-1
Practice Set-2


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